
साल था 1993, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई मे कई बम धमाके हुए। पूरे देश के मीडियावर एक नाम दिखने लगा … इकबाल मिर्ची ! टायगर मेमन के साथ एक और मेमन को देश जान रहा था पर उसके अलग नाम से, इकबाल मिर्ची नाम से। कौन था ये इकबाल मिर्ची ?
अगर हम कहे की वो एक एक मिर्ची या मसालो का मुंबई का एक कारोबारी था तो ? । आप सभी ने दुनियाभर के ड्रग्ज कारोबारियों के बारे मे सुना होगा, भारत मे भी अनेकों लोग ऐसे हुये पर काश ही कोई इकबाल मिर्ची की बराबरी कर पाया होगा। आज के इंडियाज़ मोस्ट वांटेड मे हम बात करेंगे उसी मुहम्मद इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची की जो मसालो के व्यापार से ड्रग्ज के धंधे मे पड़ा … पैसे तो उसने करोड़ो कमाए। पर क्या फायदा उस दौलत का जब अपनी खुद की औलाद भी आपसे नफरत करे।
एक ऐसा गुर्गा जो मिर्च मसालो के कारोबार से जुड़ा था और इसीके कारण उसे ‘मिर्ची’ उपनाम मिला था। पर मसालो के साथ वो कुछ ऐसे चीजों के व्यापार मे जुड़ गया जिसेसे वापस आना बहोत कठिन था, व्यापार था नशीले पदार्थो का।
साल था 1986, एक अधेड़ उम्र का आदमी 600 किलो हीरोइन के साथ एक फार्म हाउस से पकड़ा जाता हे, पकड़े हुये माल की कीमत थी 9 करोड़ रुपए… इकबाल मिर्ची के इस कारोबार का वो तो कुछ मामूली सा हिस्सा था ।
मेमन लोग, मूलत: गुजरात के कच्छ और सिंध से होते हे और अनेकों पीढ़ियो से समंदर से व्यापार करते थे। मुंबई का डोंगरी इलाका, यही के नल बाजार इलाके के एक मेमन परिवार मे इकबाल मिर्ची बड़ा हुआ। नल बाजार मे अनेकों मसालो की दुकाने हे, इकबाल मिर्ची के फॅमिली की भी दुकान थी।
“मेमन समुदाय के मूल के बारे चीजे साफ नहीं हे। पर माना जाता हे की, मेमन समुदाय का उगम हिन्दू व्यापारियो से हुआ हे। इस्लाम के शुरवाती काल मे ये हिन्दू व्यापारी इस्लाम मे गए थे। सेकड़ों सालो से ये समंदर से व्यापार करने मे माहीर हे। भारत मे मुंबई और पाकिस्तान मे कराची मे इनका खासा रसूख हे। “
चलिये अपनी कहानी मे फिर से आते हे। एक मसाले के दुकान मे बैठने वाला कभी करोड़ो के नशीले सामान की तस्करी करेगा… ये शायद किसिने भी सोचा नहीं होगा। इकबाल का मसाले का व्यापार भी जोरों पर था और इकबाल नई ऊंचाईया छु रहा था। पर उसे और अधिक चाहिए था, इकबाल मिर्ची निहायती लालची आदमी था। उसे हद से भी ज्यादा पैसे कमाने थे और वो इसके लिए कुछ भी करने के लिए तयार था।
डोंगरी से पोर्ट काफी नजदीक हे, और उस जमाने मे डॉक मे घुसना काफी आसान था। शुरवात मे रात मे डॉक मे घुसकर इंपोर्टेड सामान चुराना उसने शुरू कर दिया। कई महीनो तक उसका ये काम चलता रहा। जहा बाकी स्मगलर यूरोप के मार्केट मे पैठ बैठा रहे थे, वही इकबाल मिर्ची ने साउथ अफ्रीका के नए मार्केट को चुना और पूरी अफ्रीका मे अपना माल बेचना शुरू कर दिया। उसका गलत काम भी जोरों पर था।
एक रात ऐसेही स्मगलिंग करते समय उसके दिमाग मे आया की, क्या वो कोई ऐसी छोटी चीज की तस्करी कर सकता हे ? जो आकार मे बहोत छोटी हो और पैसा भी ज्यादा दे। सोने की तस्करी के बारे मे वो जनता था, पर उसमे पकड़े जाने का चांस ज्यादा था। वो सोच मे पड गया, … क्या थी ऐसी चीज ? ड्रग्ज !! उसने उसी दिन इस कारोबार करने की ठान ली। शुरवात मे वो 2-4 किलो कोकेन कंटेनर खोल कर डाल देता था और आगे उस कंटेनर का नंबर भेज कर निकलवा भी लेता था। अब इकबाल मिर्ची … इकबाल पावडर बन चुका था। अपने धंधे ने उसे हाजी मस्तानसे लेकर दाऊद इब्रहीम तक सभी के करीब ला दिया।
जैसे ही पुलिस की रडार पर इकबाल आया, उसने मुंबई छोड़ दी और वो दुबई जा बसा। इकबाल ने अब दुबई मे अपना साम्राज्य बना लिया। 1993 के बाद दाऊद का नाम और दुबई से अंडरवर्ल्ड का संबंध सबके सामने आने लगा तब शातिर इकबाल दुबई से लंदन जा बसा। ‘डॉकमास्टर’ नामसे उसने वहा एक होटल भी खोल दिया। भारत केही एक बंदे से उसने वहा के अमीरों के तौर तरीके सीख लिया और फिर पैठ भी बैठायी, वो वहा खुदकों राइस पोलिश करनेवाला कारोबारी बताता था।
साल था 2011, उस जमाने मे नार्कोटिक के अफसर हेमंत करकरे थे, उन्होने और दूसरे एक अधीकारी नीरज कुमार ने इकबाल को लाने का बेड़ा उठाया था। करकरे को ये मौका मिला था, क्योकि मेट्रोपोलीटन पुलिस ने इकबाल मिर्ची को अरेस्ट किया था। करकरे और कुमार ने समर्पण के लिए इंग्लैंड से बातचीत की और वे वहा पुहच भी गए थे। लेकिन तब पर अंग्रेज़ो ने उसे भारत को वापस देने से मना किया। इकबाल को दावुद के ड्रग्ज कारोबार का सरगना भी कहा जाता हे। 1995 मे स्कॉटलैंड यार्ड के पुलिस अधिकारियोंने उसे ड्रग्स और मुंबई हमलो के लिए अरेस्ट किया था। जब भारत की अजेंसी उसे लाने के लिए इंग्लैंड पोहची तो इंग्लैंड ने उसे समर्पित कर देने से मना कर दिया था।
इकबाल मिर्ची ने दो शादिया की थी, उसमे से एक बॉलीवुड अभिनेत्री हीना कौशिक एक थी। पर पैसा खासतौर पर काले धंधो से कमाया हुआ पैसा अपने रंग दिखा ही देता हे। इकबाल मिर्ची एक रंगेल किस्म का आदमी था इसिकारण उसकी औलादे भी उससे नफरत करती थी। 2013 मे लंदन मे उसकी मौत हो गयी। गया जाता हे इसको वियाग्रा का शौक था और इसीके कारण इसकी मृत्यु हो गयी। कहा जाता हे की डावुद की ही तरह इकबाल मिर्ची को भी भारत लौटना था… पर अपनी करतूदो के कारण उसे मौत के बाद भी अपनी जमीन नसीब नहीं हुई।