भाई ठाकुर : वसई विरार पर राज करनेवाला भाई

80-90 के दशक का एक भाई, जो आज भी अपने इलाके पर राज करता हे। उस का दबदबा आज भी इतका हे की, पूरे महाराष्ट्र की राजनीती वो आज भी हिला सकता हे। आजकी कहानी हे वसई विरार के उस एक भाई की, जिसकी आज भी वहा चलती हे… कहा जाता हे देश के पूर्व पेट्रोलियम मंत्री भी अपना चुनाव जीतने के लिए उसकी मदत लीया करते थे। हालाकी जिसने आज गुनाहो की दुनिया से विदा ली हे, पर आज भी उसके किस्से बड़े चाव से सुनाये जाते हे । और अपने परिवार की राजनीती के जरिये वो आज भी इलाके मे अपना रसुक बनाए रख्खा हे। आज की कहानी भाई ठाकुर की जिसका नाम वरदाराजन, हाजी मस्ताना और दाऊद के साथ लिया जाता था।
अगर आप महाराष्ट्र से तो आपने कभी ना कभी तो बहुजन विकास आघाडी का नाम तो सुना ही होगा। चुनावी हवा किस की भी चल रही हो, वसई विरार के इलाके से 3 MLA और एकाद विधायक तो इस पार्टी का आता ही आता हे। बहोत लोगो को शायद ही पता होगा की, भाई ठाकुर के भाई की ये पार्टी हे।
साल था 1953, वसई के एक मध्यमवर्गीय विष्णु ठाकुर के परिवार मे एक लड़के का जन्म हुआ नाम था जयेन्द्र, आगे जाकर जयेन्द्र पूरे ठाणे और महाराष्ट्र का भाई ठाकुर बनेगा ये शायद ही किसिने सोचा होगा। जयेन्द्र जब बड़ा होने लगा तब वसई और मुंबई के बीच मे हजारो एकर जमीन खाली थी। उस लड़के ने पहचाना की इस जमीन की क्या अहमियत हे, और वो जमीन पर मालिकाना हक जमाने लगा और एक दिन वो हजारो एकर जमीन के सौदे करने वाला था। उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत अब शायद ही किसीमे थी।
मुंबई पर राज करनेवाले अनेकों थे, पर ठाणे के वसई विरार मे सिर्फ एक ही था… भाई ठाकुर ! मुंबई जैसे जसे बड़ी होती गयी वैसे वैसे नालसोपरा से लेकर विरार तक लोग आकार बसने लगे और यहा विकास और पैसो की गंगा बहने लगी। ठाकुर फॅमिली तो… थी वही की, ठाकुर भाइयो ने हजारो एकर जमीन सस्तेमे शहरो के आसपास खरीदी और बिल्डरों को बेची। पर जहा बहोत पैसा होता हे वहा होते हे … गुनाह और गुनहगार भी… ऐसे मे दुश्मन खुद ही पैदा हो जाते हे। ठाकुर काफी गलत कामो मे भी पड़ गया।
भाई ठाकुर के गुंडागरी का एक किस्सा काफी ज्यादा मशहूर हे, एक बार स्मगलिंग की करोड़ो की चाँदी वसई की खाड़ी से आने वाली थी। पर किनारे पर पुहचनेसे पहले ही नाव उलट जाती हे और सारी चाँदी खाड़ी मे गिर जाती हे। बाजूके गाव के कुछ लोगो को ये बात पता चलती हे। अगले ही दिन गाव के लोग, जो नैचुरली काफी अच्छे तैराक होते थे, वे सभी पानी के अंदर जा जा के काफी चाँदी निकाल लाते हे। पर लोगो को तब शायद ही भाई ठाकुर की गुंडागर्दी का अंदाजा था। अगले काफी महीनो तक भाई ठाकुर के गुर्गे उन गावों मे जाते … लोगो को पीटते और जीतने हो सके उतनी चाँदी वसूल करते थे।
साल था 1989, 9 अक्तूबर का दिन शायद ही भाई ठाकुर कभी भूल पाएगा। नालसोपारा मे दुबे परिवार भी रहता था, पैसे से दुबे परिवार के भाई भी काफी अच्छे खासे थे और उन्होने नालसोपारा के आसपास की काफी जमीन खरीद के भी रख्खी थी। भाई ठाकुर को इन भाइयोमेसे सुरेश दुबे की एक जमीन खरीदनी थी पर वो इंकार कर देता हे। और 9 अक्तूबर 1989 के दिन रेलवे प्लैटफ़ार्म पर सुरेश दुबे को मारा जाता हे।

दहशत इतनी थी की, कोई भी पुलिस थाना कंपलेंट लेने तक को भी तयार नहीं था। महीनो चले गए पर केस का कुछ नहीं हो रहा था… पर एक ईमानदार अफसर के आने से केस मे जान आ गयी और पहली बार भाई ठाकुर को अरेस्ट कर के जेल मे डाला गया।
इसके बाद भाई ठाकुर के अनेकों केस सामने आए और पुणे से लेकर तिहार तक अनेकों जेल मे भाई ठाकुर को रहना पड़ा। हजारो एकर जमीन पर भाई ठाकुर का अधिकार था, उस जमाने मे तंज़ लेके कहा जाता था की …. दावूद के पास इतना पैसा नहीं हे जितना भाई ठाकुर के पास हे। बाद मे स्मगलिंग और बाकी चीजों मे भी भाई ठाकुर उतर गया था। भाई ठाकुर ने अपने भाइयो को राजनीति मे लाया जिसने बादमे खुद ही एक नई पार्टी बना ली। पैसा इतना की, भाई ठाकुर की बेटी की जब शादी थी तब एक स्पेशल हेलीपैड बनाया गया था और अनेकों लोगो के लिए स्पेशल हेलीकाप्टर सर्विस का अरेंजमेंट किया गया था।
साल था 2021, एक घोटाला सामने आया पंजाब महाराष्ट्र कोओपरेटिव बैंक का घोटाला ! इससे पता चला की 1000 एकर से भी ज्यादा जमीन का घोटाला किया गया था। आज भाई ठाकुर रिटायरमेंट की जिंदगी जी रहा हे।