होलो अर्थ सिधांत – The Hollow Earth Theory
होलो अर्थ सिधांत – The Hollow Earth Theory
२०१४ में, University OF Alberta के प्रोफेसर ग्रेम पियरसन…. जो एक हीरे के अन्दर के महत्वपूर्ण material पर खोज कर रही वैज्ञानिको की इंटरनेशनल टीम के प्रमुख थे, उन्हें उस हीरे के अन्दर ringwoodite नाम का मिनरल मिला जो काफी चौकाने वाला था, और इसके मिलने की उन्हें आशा भी नहीं थी, क्यों की ringwoodite उस से पहले सिर्फ उल्काओ में ही मिला था, ये ऐसा पहला मौका था जब पृथ्वी के अन्दर से ये मिनरल निकला हो. शोध से ये पता चला की किम्बरलाइट नाम का वोल्कानिक पत्थर उस हीरे को पृथ्वी की सतह पर ले आया था. पर आगे के शोध से इससे भी ज्यादा चौकादेने वाली बात सामने आई. वो थी की इस मिनरल के अन्दर मारी मात्र में पानी मिला, और वो पानी २५० से ३५० मिल या उससे भी निचे पृथ्वी के अन्दर बना था. पृथ्वी के इतने अन्दर पानी होने के इस सबुत ने पूरी दुनिया को चौका दिया.
ग्रेम पियरसन के अनुसार ” इस पत्थर ये साबित होता हे की, पृथ्वी के बहोत अन्दर कुछ “wet पॉइंट्स” हे, और वे एकतरह के Transition zone हे, जो किसी बड़े समुद्र के हे जिसका पानी शायद हमारे सातों समुद्रो से भी ज्यादा हो.” अगर सचमुच पृथ्वी के अन्दर कोई महाकाय समुन्दर हे तो आज की प्रचलित Seismic Wave Theory of Earths Interior बुरी तरह से fail हो जाएगी और हमें सालो पहले बनी “Hollow Earth Theory” को फिर से नए सिरे से देखना पड़ेगा.
कुछ शोधकर्ताओ के अनुसार, हो न हो पृथ्वी अन्दर से खोकली हे. और शायद वहा पर अन्य जिव होने की सम्भावनाये भी हे, जिसे the Hollow Earth theory नाम दिया गया. इस थ्योरी के प्रमुख supporter इग्लैंड के एडमंड हेले थे, हेले बहोत महान खगोलवैज्ञानिक और न्यूटन के समकालीन थे, Comets की कक्षा का सही से अंदाज लगाने के लिए विश्व में विख्यात थे और उनका नाम एक धूमकेतु देकर उन्हें सम्मानित किया गया हे, जिसे आज हम “हेले का धूमकेतु” कहते हे.
उस काल में ही हेले ने पृथ्वी की परतो का सिधांत बता दिया था, और उन्होने ये भी कहा था की ये परते एक-दुसरे से विपरीत दिशा में घुमती हे, और इनके चुम्बकीय क्षेत्र भी भिन्न हे. काफी सालो बाद आज विज्ञान ने इसे स्वीकार कर लिया हे. उनका ये भी कहना था एक हर दो परतो में एक खालीपन हे और वहा वातावरण के मौजूद होने के कारन हर एक परत में जीवन पनप सकता हे. हेले ने और बताया की हमारी पृथ्वी एक एटम की तरह हे और हर एक परत… इलेक्ट्रान की कक्षा की तरह हे. हेले के चुम्बकीय क्षेत्र के अध्ययन के अनुसार उस अन्दर की दुनिया में जाने का रास्ता उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव सेही बनाया जा सकता हे.
स्विस गणितज्ञ और भौतिकी के वैज्ञानिक लेयर हार्ट ओयलर भी इसी में यकीं रखते हे…. ओयलर दुनिया के आजतक के कुछ सबसे महान वैज्ञानिको के मेंसे एक माने जाते हे. अपने जीवनी में उनके १००० से ज्यादा research publish हुये हे. उनके अनुसार भी पृथ्वी hollow हे और तो और centre में ६०० मिल redius का एक सूरज भी हे जो पृथ्वी के अन्दर के जीवन को प्रकाश देता हे, उनके अनुसार भी पृथ्वी के अन्दर उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव सेही पुहचा जा सकता हे. एक और अलग शोध में रुसी वैज्ञानिक फ़ेडरल निवोलिन ने, एकतरह से एडमंड हेले और ओयलर को पुष्टि दी हे.
ये तो हुवी वैज्ञानिक बाते पर असल जिंदगी में भी अमेरिका के एडमिरल रिचर्ड बर्न जिन्होंने दुनिया में पहली बार दक्षिण ध्रुव के ऊपर से विमान उडाया था, उनकी जीवनी में भी दक्षिण ध्रुव के उस निचे की दुनिया में जाने के रस्ते का जिक्र हे. १२ वि शताब्दी में वुलपिट शहर में मिले २ हरे रंग के बच्चे भी निचे की दुनिया से आने का दावा करते थे.